Friday, April 10, 2009

हम जेंडर-विभेदी सीमांकन कर रहे हैं


















ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है यह हर रोज इम्तिहान लेती है, इन्हीं इम्तिहानों को रोज़ पास करना हमारा लक्ष्य है वरना हताशा हमको घेर लेगी .इस आलेख के ज़रिये मैं कामकाजी महिलाओं की हताशा भरी सोच और यथार्थ को रेखित करना चाहतीं हूँ समाज और महिलाएं स्वयं भी किसी कार्य विशेष अथवा /संगठन/संस्थान/संस्था विशेष पर पुरुषों के एकाधिकार समझतें हैं जो कदापि सही नहीं है . ठीक बात तो यह है कि :-"हमारे अवदान से किसी कार्य विशेष अथवा /संगठन/संस्थान/संस्था को पहचान मिलती है कि जेंडर के आधार पर"कोरी बकवास नहीं सच है कि जेंडर-विभेदी सोच हो सकती है कि सामाजिक,सांस्कृतिक,संगठनात्मक संरचनाएं . इसे कई महिलाओं ने सिद्ध कर दिया है फिर भी हम जेंडर-विभेदी सीमांकन कर रहे हैं और इस तरह के विचारों को ढो रहें हैं

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