Saturday, July 11, 2009

KaunJako rakhe saiya maar sake na koi'

Aaj maine ak asi aurat ke bare me samahar patra me pada. Jisne apni navjat bachi ko talab me fekne ke koshish ke. Magar wo kahte hai na ki ' Jako rakhe saiya maar sake na koi';Ab apni bachi ko fekne ke peche kya karan raha hoga, yah to wo aurat he jane. Magar isse yeh bat sabit hoti hai ke, chahe 20vi sadi ho ya fir 21vi sadi ladkiyo ko aaj bhi ak bojh hi samjha jata hai. Kisi ne use paap ki nishani bola to kisini ne use bad kismat kaha, Ab Bloggers aap hi batayian ke, is sab me us nav jat ka kya dosh. Kya is tarah anchahe bachhe ko kachare me daal par sirf wo maa doosi hai, jisne apni hi santan ko janma diya aur feke diya, ya phir ye samaaj jo ise bachho ko sahaj he nahi swekarta.

Sunday, May 24, 2009

koi kush to koi na kush

मनमोहन सरकार बनते ही सभी कांग्रेसियो के चेहरे इस तरह चमकने लगे मानो उन्हें दुनिया की सबसे बड़ी जीत हासिल हो गई हो भाजपाई अपनी हार से दुखी है और एक बार फिर जीत के कयास लगाने शुरू कर दिए है आडवानी जहाँ भारतीय राजनीती को दो ध्रुवीय बनने का सेहरा अपनों के सर बाँध रहे है वही वरुण गाँधी को हार का जिम्मेवार मार इस मामले में चुप्पी साधे हुए है
किसने क्या कहा .
भाजपा महासचिव गोपी नाथ मुंडे ने कहा पवार का प्रधान मंत्री बनने का सपनासपना ही रहेगा। अब राज्य में सबसे बड़ा मजाक पी़एम बनने के पवार की लालसा है।
नन्द गोपाल भट्ताचायँ ने मोर्चे को अपनी जगह बनने कहा।






को

Sunday, May 17, 2009

गिरीश भैया की एक कविता



पाठको गिरीश बिल्लोरे मुकुल की कविता इस समय की कविता है सबकी कविता है
आशा है आप को भाएगी
बेटियाँ जो आपके घर को सजातीं हैं
बेटियाँ जो आपको सपने सुझातीं हैं
जी हाँ
उन्हीं बेटियों का
पीछा करतें हैं
कोख से
उसके बिदा होने तक
बेटियाँ जो दुनिया बनातीं हैं उनको
वस्तु की तरह देखते तुम
पिता-भाई-पति-चाचा-दादा नहीं
तुम जो माँ होने का दावा करतीं हो
चीख-चीख के तुम
तब न चीखीं जब मुन्ने से पहले
तुम्हारे गर्भ में आई
मेरी बहनों को
धन के लोभी हत्यारी डाक्टर को
सौंप आयीं थी
किससे अपना नाता बनाऊं
किसे अपना रक्त -सम्बन्धी बताऊँ
तुम सब कहो
चुप क्यों हो कहो न

Saturday, May 16, 2009

रक्षा-बंधन का महत्त्व:अखंड-ज्योति से साभार


शुक्ल पूर्णिमा कों, रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है इस दिन दो त्यौहार साथ मनाए जाते है श्रावणी और रक्षा बंधन श्रावणी ब्राह्मणत्व के अभिवर्धन का, वेद उपाकर्म के शुभारंभ का, धरती को हरीतिमा के कवच से आच्छादित करने का प्रतीक पर्व है । रक्षा बंधन बहन की ,राष्ट्र की रक्षा हेतु बंधन से जुड़ने का प्रतीक त्यौहार है यह धार्मिक स्वाध्याय के प्रचार का, विद्या विस्तार का पर्व भी है इस दिन यागोपवित बदला जाता है एवं द्विजत्व को धारण किया जाता है वेद मंत्रों से मंत्रित किया जाता है नारी जाती पर कोई विप्पत्ति आए,इसके लिये संकल्पित होने,संस्कृति की शालीनता को बचाए रखने हेतु संकल्पबद्ध होने का भी यह पर्व है इस दिन वेद पूजा होती है आज तो यागोपवित बदलने जैसे कुछ कर्मकांड एवं बहन द्वारा राखी बांधने तक यह सीमित होकर रह गया है इसकी गरिमा पुनः स्थापित होनी चाहिए ।
वाड्मय खंड ३६(४.67)
निवेदन: मैं एक नई ब्लॉगर हूँ अभ्यास हेतु लिखी गयी यह पोस्ट समयानुकूल नहीं है किंतु सार्वकालिक उद्धहरण _अवश्य है

अडवानी जी के तम्बू से आती आवाज़

शायद जनता एन डी ए की उस बात को अन देखा कर गई कि मनमोहन कमजोर प्रधान मंत्री थे



फ़िर से प्रतीक्षा में
सभी अपना अपना नेता चुनने में व्यस्त थे , किसी को 'प्रियंका गाँधी '
का रंग रूप लुभा रहा है तो कोई 'राहुल गाँधी ' पर आकर्षित है .वही
कुछ इसे भी है जो बुजुर्गो को अपना आइडियल मानते है . कुल मलकर नेता
बन्ने के लिए अब काबिलियत से ज़्यादा इन्सान के पर्सनालिटी देखि जा रही
है . पर सावधान दोस्तों ये कोई रंग मन्च नहीं बल्कि , ये हमारा वतन
है . इसलिये देश का कॅप्टन चुनने से पहले एक बार जरुर सोचे के जैसे
आप इस देश का राजा बना रहे है क्या वाकई वो इस लायक है या नही इस बात की तस्दीक़ करने के लिए आपको इनके व्यक्तित्व में झांकना होगाकुछ नुस्खे मैं सुझाती रहीं हूँ आज रिजल्ट आने पर देखिये मेरे नुस्खे शायद अगले किसी चुनाव में काम आएं
साभार:inder1234.instablogs.com
1: किसी भी नेता में बेकाबू बोलनें की आदत तो नहीं है

<=(बेकाबू जुबान वाले चेहरे )
2: अपने भाषण में जाती-वर्ग-सम्प्रदाय का ज़िक्र करने वाला हो
3:देश की आर्थिक परिस्थितियों के लिए उसका चिंतन कैसा है
4: किसी भी प्रतिस्पर्धी के विरुद्ध नेगेटिव हो
5: नई जनरेशन के लिए किस तरह का संदेश दे रहें हैं

सत्ता-संघर्ष में मौन चुनौती
मेरे इस आलेख के पूरा होने तक लोकसभा चुनावों के परिणाम लगभग सामने हैं । अधिसंख्यक मतदाताओं नें इसी तरह से वोट किए हैं जो इस बात का प्रमाण है की अब भारतीय वोटर सही दिशा में सोच रहा है । सामप्रदायिकता के ख़िलाफ़ वोटर बोल रहा है। झूठ को आइना दिखा रहा है । वोटर स्थायित्व को पसंद करता है। इतना ही नहीं वोटर किसी मुगालते में भी नहीं हैं बल्कि मीडिया को भी भ्रमित करने की ताक़त है इस जन-शक्ति में । सच उसने {भारतीय वोटर ने } एक्जिट पोल में भी नहीं बताया ।


विजेता किंतु सहजता का सागर
शायद जनता एन डी ए की उस बात को अन देखा कर गई कि मनमोहन कमजोर प्रधान मंत्री थे
फोटो : साभार गूगल