पाठको गिरीश बिल्लोरे मुकुल की कविता इस समय की कविता है सबकी कविता है
आशा है आप को भाएगी
बेटियाँ जो आपके घर को सजातीं हैं
बेटियाँ जो आपको सपने सुझातीं हैं
जी हाँ
उन्हीं बेटियों का
पीछा करतें हैं
कोख से
उसके बिदा होने तक
बेटियाँ जो दुनिया बनातीं हैं उनको
वस्तु की तरह देखते तुम
पिता-भाई-पति-चाचा-दादा नहीं
तुम जो माँ होने का दावा करतीं हो
चीख-चीख के तुम
तब न चीखीं जब मुन्ने से पहले
तुम्हारे गर्भ में आई
मेरी बहनों को
धन के लोभी हत्यारी डाक्टर को
सौंप आयीं थी
किससे अपना नाता बनाऊं
किसे अपना रक्त -सम्बन्धी बताऊँ
तुम सब कहो
चुप क्यों हो कहो न
Anshu
ReplyDeletemujhe sthan dene kaa aabhaaree hoon
is kavita men mitti ki gandh hai.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
good poem
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